Submitted by: arshadrasool
Complaint Details:
डिजिटल लेनदेन में 15, 000 रुपये की ठगी
1- नोटबंदी के बाद डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा मिला। इसी क्रम में पेटीएम ने भी खूब प्रचार किया। बड़े-बड़े विज्ञापनों में प्रधानमंत्री का फोटा भी छापा। कोई प्राइवेट कम्पनी किसी की मर्जीे के बगैर उसका फोटा नहीं छाप सकती। इसलिए हमने भी मान लिया कि प्रधानमंत्री जी पेटीएम के समर्थक हैं। पेटीएम के प्रति जनविश्वास लगातार बढ़ता गया। मैंने भी 18.12.16 को पेटीएम के वॉलेट में ट्रांजक्शन आईडी 4680756929 के तहत 15000 रुपये एड किए। 20.12.16 को मैंने भुगतान करना चाहा तो अपना मोबाइल नम्बर वैरीफाई करें। मैसेज आया। मैंने लॉगआउट करके पुनः लॉगइन किया तो बैलेंस जीरो था, जबकि इससे पहले वॉलेट में 15873 रुपये जमा थे। अब हाल यह है कि पेटीएम की पासबुक में भी कोई लेनदेन दिखाई नहीं दे रहा है।
पेटीएम से लगातार संपर्क करने के बाद भी कोई समाधान नहीं मिल पा रहा है। सबसे बड़ी दिक्कत तो यह है कि पेटीएम को फोन करने पर उसके मेन्यु में कस्टमर केयर अधिकारी से बात करने का कोई विकल्प ही नहीं है। एक बार ईमेल का जवाब आया कि आप अपडेटेड पेटीएम वर्जन इस्तेमाल करें। इस पर मैंने उन्हें अपडेटेड वर्जन का स्क्रीन शॉट भी भेजा। इसके बाद पेटीएम से कोई जवाब नहीं आया।
2- भारतीय स्टेट बैंक का शुमार देश के प्रतिष्ठित बैंकों में होता है। इस पर विश्वास करते हुए 18.12.16 को मैंने स्टेट बैंक बडी एप के जरिए 2000 रुपये और 20.12.16 को 1000 रुपये स्टेट बैंक के खाता नंबर 35646933998 में ट्रांसफर किए लेकिन रुपये नहीं पहुंचे। इन लेनदेन की ट्रांजक्शन आईडी क्रमशः 3413577015 और 3481712847 हैं। इसके बाद 21.12.16 से लगातार ईमेल और फोन से शिकायत कर रहा हूं, लेकिन समाधान नहीं मिल पा रहा है। एक बार मेल का जवाब आया कि आपको 48 घंटे में सुना जाएगा, लेकिन अब तक कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है।
माननीय नरेन्द्र मोदी जी जैसे ईमानदार प्रधानमंत्री के राज में इतने प्रतिष्ठित और भरोसेमंद बैंक इस तरह का घपला कर रहे हैं, यह समझ से परे है। इससे देश के व्यापारिक बैंकों व एजेंसियों की ईमानदारी, पारदर्शिता सवालों के घेरे में आ रही है।